खेल डेस्क. वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) ने सोमवार को रूस पर चार साल का प्रतिबंध लगा दिया। रूस अब 2020 में जापान ओलिंपिक और 2022 में कतर में होने वाले फुटबॉल वर्ल्ड कप में हिस्सा नहीं ले पाएगा। साथ ही वह विंटर ओलिंपिक और पैरालिंपिक में भी भाग नहीं ले सकेगा। वाडा ने कहा- रूस पर आरोप था कि वह डोप टेस्ट के लिए अपने एथलीट्स के गलत सैंपल्स भेज रहा है। जांच में यह सही पाया गया कि रूस ने सैंपल्स से छेड़छाड़ की।
स्विट्जरलैंड में वाडा की 12 सदस्यीय कार्यकारी समिति ने रूस के खिलाफ प्रतिबंध का प्रस्ताव पारित किया। अनुपालन समिति ने प्रतिबंध की सिफारिश की थी। रूस की एंटी डोपिंग एजेंसी के प्रमुख यूरी गानस ने प्रतिबंध लगने की जानकारी दी। वाडा के नियमों के मुताबिक, वह रूसी एथलीट जो डोपिंग के आरोपी नहीं हैं, न्यूट्रल खिलाड़ियों के तौर पर अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में हिस्सा ले सकेंगे।
पहली बार डोपिंग के कारण किसी देश पर प्रतिबंध लगा
रूस ओलिंपिक में बैन होने वाला 9वां देश है। डोपिंग के कारण पहली बार किसी देश का झंडा नही दिखेगा। इससे पहले ऑस्ट्रिया, बुल्गारिया, तुर्की, हंगरी, जापान और जर्मनी पर विश्व युद्ध में हिस्सा लेने के कारण प्रतिबंध लगा था। दक्षिण अफ्रीका (रंगभेद के कारण) और अफगानिस्तान ( महिलाओं पर तालिबानी अत्याचार के कारण) पर भी प्रतिबंध लग चुका है। रूस के खिलाड़ी एथलेटिक्स, रोइंग, वेटलिफ्टिंग और केनोइंग में डोपिंग के कारण 2016 में भाग नहीं ले सके थे। इसके बावजूद रूस ने 19 स्वर्ण पदक अपने नाम किए थे।
ये हालात क्यों बने?
रूस ने इसी साल जनवरी में वाडा को अपनी सरकारी डोपिंग लैब का डाटा सौंपा था। यह मॉस्को में है। रूस ने कहा था कि इस एकीकृत डाटा को सौंपने के बाद उसे वाडा की प्रतिबंधित लैब सूची से बाहर किया जाना चाहिए। लेकिन, बाद में वाडा ने साफ कर दिया कि उसे जो डाटा मिला है, वह विश्वसनीय नहीं है। वाडा ने कहा था कि रूस ने संस्था के मानकों का पालन नहीं किया। खास बात ये है कि रूस के एंटी डोपिंग एजेंसी के प्रमुख यूरी गानस ने भी माना था कि संभवत: वाडा को भेजे गए डाटा से छेड़छाड़ की गई।
विवाद की शुरुआत 2015 में हुई थी
रूस और वाडा के बीच डोपिंग पर तनातनी 2015 में शुरू हुई। वाडा ने मॉस्को लैब के डाटा को तब भी संदिग्ध मानते हुए रूस को 2016 के रियो ओलिंपिक से बाहर करने की सिफारिश की थी। हालांकि, इंटनेशनल ओलिंपिक कमेटी (आईओसी) ने यह सिफारिश नकार दी थी। रूस को खामियाजा 2018 में भुगतना पड़ा। उसे प्योंगचेंग विंटर ओलिंपिक में हिस्सा तो लेने दिया गया लेकिन वो पदकों का हकदार नहीं था।